महासम्मेलन कर आदिवासियों को साधेगी कांग्रेस
भोपाल । कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए बड़ी रणनीति बनाकर काम कर रही है। इस रणनीति क तहत पार्टी का फोकस अपने सबसे बड़े वोट बैंक आदिवासियों पर है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए सुरक्षित 47 में से 30 सीटों को जीता था। इस बार पार्टी सभी सीटों को जीतना चाहती है। इसके लिए पार्टी आदिवासी बहुल क्षेत्रों में महासम्मेलन कर इस वर्ग को साधेगी। इसके लिए पार्टी ने क्षेत्रवार कार्ययोजना तैयार की है। इसमें आदिवासी मतदाताओं को साधने के लिए अलग से अंचलवार कार्ययोजना बनाई गई है। इसके अंतर्गत प्रदेश को तीन हिस्से महाकौशल, विंध्य और मालवा-निमाड़ क्षेत्र में बांटा गया है। इनमें महासम्मेलन आयोजित किए जांएगे। पहला महासम्मेलन मंडला के रामनगर, दूसरा विंध्य और तीसरा बड़वानी में प्रस्तावित है। इसकी तैयारियों से लेकर मंच संचालन तक की जिम्मेदारी स्थानीय आदिवासी नेताओं के पास रहेगी।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, बैतूल, झाबुआ, आलीराजपुर, खरगोन, घार, बुरहानपुर, रतलाम, कटनी और अनूपपुर जिले में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित सभी सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। इसी तरह भाजपा ने शहडोल, सीधी, सिंगरौली, उमरिया, जबलपुर और हरदा जिले में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सभी विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार कांग्रेस का फोकस सभी सीटों को जीतने पर है। आदिवासी क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने आदिवासी कांग्रेस को सक्रिय किया है। संगठन में बैतूल के रामू टेकाम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है ताकि वे पूरा समय संगठन के लिए दे सकें। प्रदेश उपाध्यक्ष प्रकाश सिंह ठाकुर ने बताया कि प्रदेश में एक करोड़ 40 लाख आदिवासी मतदाता हैं और 47 विधानसभा क्षेत्र अनसूचित जनजाति वर्ग (अजजा) के लिए सुरक्षित हैं। इसे देखते हुए हमने मध्य प्रदेश को तीन हिस्से में बांटकर कार्ययोजना बनाई है।
जल्द तैयार होगी रूपरेखा
आदिवासियों को साधने के लिए जल्द महाकोशल, विंध्य और मालवा-निमाड़ में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसमें स्थानीय नेताओं को आगे किया जाएगा। वे ही कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करेंगे। इसमें अलग-अलग समाजों के बीच काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को भी जोड़ा जाएगा ताकि वे पार्टी की बात प्रभावी तरीके से आमजन तक पहुंचा सकें।कार्ययोजना को अंतिम रूप देने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ संगठन पदाधिकारियों की बैठक जल्द होगी। उधर, भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस ने 2018 में उधार के जनाधार से जनजातीय सीटें जीतने में सफलता पाई थी, जो तात्कालिक थी। वर्ष 2019 के लोकसभा में जनजातीय समुदाय ने इसे उलट दिया था। सभी आरक्षित सीटों पर भाजपा ने 2018 के मुकाबले बढ़त पाई थी। इसे बरकरार रखने को भाजपा ने क्षेत्रवार कार्ययोजना बनाई है। संगठन का बूथ स्तर पर काफी काम हुआ है और केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचा है। आगामी विधानसभा चुनाव में पुरानी गलती नहीं होने वाली है। वहीं, कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा का कहना है कि देश में आदिवासियों पर सर्वाधिक अत्याचार मध्य प्रदेश में हुए हैं और ये किसी से छुपा नहीं है, इसलिए चुनाव में जनता ही इन्हें सबक सिखाएगी।