दिग्विजय ने 'जिहाद' की व्याख्या कर बाबाओं को कहा ढोंगी, नरोत्तम ने किया पलटवार
भोपाल । विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आने के साथ प्रदेश में सियासत गरमा रही है। इन दिनों लव जिहाद और मतांतरण जैसे मसलों को लेकर खूब सियासी बयानबाजी हो रही है। इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिहाद की व्याख्या करते हुए सनातन धर्म पर प्रवचन करने वाले बाबाओं को ढोंगी करार दिया हैं। कुछ ऐसे ट्वीट किए, जिस पर सियासी पारा चढ़ गया है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि दिग्विजय जिहाद की अपनी परिभाषा आइएसआइ, अलकायदा, पीएफआइ, सिमी जैसे संगठनों को क्यों नहीं समझाते। दिग्विजय जैसे नेताओं को सनातन का अपमान करने की आदत हो गई है।
यह कहा था दिग्विजय ने
दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को कुछ ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने लिखा कि अज्ञानी सनातन धर्म विरोधी आरएसएस के स्वयंसेवकों और वीएचपी के बाबाओं को जिहाद का क्या मतलब होता है, यह समझाओ। दिग्विजय ने अपने अगले ट्वीट में लिखा कि जिहाद एक अरबी शब्द है। जिसका अर्थ है प्रयत्न करना नैतिक मूल्यों के संरक्षण के लिए की जाने वाली ज़द्दोज़हद या संघर्ष। किसी जायज मांग के लिए भरपूर कोशिश करना या आंदोलन और जिसका मतलब मेहनत और मशक्कत करना भी है। दिग्विजय यहीं नहीं रुके। उन्होंने अगले सवाल किया कि क्या पढ़ाई व रोज़गार में मेहनत और मशक़्क़त करना भी जिहाद है? क्या करें जब अनपढ़ लोग शक्तिशाली पदों पर पहुंच जाते हैं। फ्राड बाबा लोग सनातन धर्म पर प्रवचन करने लगते हैं तो क्या देश व सनातन धर्म विनाश की ओर नहीं जायेगा?
नरोत्तम ने किया पलटवार
दिग्विजय सिंह की 'जिहाद' व्याख्या पर पलटवार करते हुए गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि क्या अद्भुत व्याख्या दी है। दिग्विजय सिंह जी, आपने जिहाद की अपनी परिभाषा कभी आइएसआइ, अलकायदा, पीएफआइ, सिमी जैसे संगठनों को समझाई? आपको बस आदत बन गई है सनातन धर्म का अपमान करने की, इस पर हमला करने की। कल ही भोपाल में पंडित प्रदीप मिश्रा ने लव जिहाद को लेकर बच्चियों को संस्कार की बात कही थी। सुरक्षा की बात पर भी उन्होंने बोला। आपको यह बात इतनी अखर गई कि सुबह ही आपने संतों को ढोंगी करार दे दिया। मैं कमल नाथ जी, प्रियंका जी से सवाल पूछना चाहता हूं जो धर्म का चोला ओढ़कर आते हैं कि जो दिग्विजय ने सनातनी संतों के बारे में बोला है, इस आपत्तिजनक बयान को क्या आप सही मानते हैं। अगर सही मानते हैं तो हां कहें और अगर नहीं मानते हैं तो उन पर कार्रवाई करें। लेकिन ये तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं इसलिए ये मौन ही रहेंगे।