फर्जीवाड़ा करने वाले कालेजों को सिर्फ नोटिस या मामूली अर्थदंड लगाकर छोड़ा
भोपाल । मध्य प्रदेश के नर्सिंग कालेजों द्वारा फर्जी तरीके से संसाधन दिखाकर संस्थान की मान्यता लेने के पीछे मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल (एमपीएनआरसी) की बड़ी भूमिका है। काउंसिल के अधिकारी नियमों को अनदेखा कर कालेजों पर मेहरबानी करते रहे। काउंसिल की निगरानी करने वाले चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अधिकारियों ने भी इस पर नजर रखना उचित नहीं समझा। वर्ष 2022-23 में जिन 64 कालेजों में डुप्लीकेट फैकल्टी मिले हैं उन्हें सिर्फ नोटिस या मामूली अर्थदंड लगाकर छोड़ दिया गया, जबकि कार्यपरिषद द्वारा पारित नियम में स्पष्ट था कि ऐसे कालेजों को मान्यता नहीं दी जाएगी। अर्थदंड का प्रविधान ही नहीं था।
दूसरी बात यह कि बिना मापदंड चल रहे जिन दो सौ कालेजों की मान्यता पिछले तीन वर्ष में समाप्त की गई उनकी जांच करने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। बड़ा प्रश्न यह है कि जब संसाधन ही नहीं थे तो फिर निरीक्षण दल ने मान्यता देने की अनुशंसा कैसे कर दी। यहां तक कि सीबीआइ की जांच में वर्तमान में संचालित हो रहे कालेजों में भी गड़बड़ी मिली है। बता दें कि हाईकोर्ट के निर्देश और अन्य शिकायतों की वजह से दो सौ कालेजों की मान्यता समाप्त की जा चुकी है। ला स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने भी हाईकोर्ट में याचिका लगाकर बताया था कि प्रदेश में कई नर्सिंग कालेज में बिना मापदंड के संचालित हो रहे हैं। 64 कालेजों में डुप्लीकेट फैकल्टी होने की जानकारी भी उनकी याचिका पर काउंसिल द्वारा हाईकोर्ट को दी गई जानकारी में सामने आई थी।
आउटसोर्स कर्मचारियों के हवाले है नर्सिंग काउंसिल
प्रदेश में लगभग पांच सौ नर्सिंग कालेज संचालित हो रहे हैं। इन कालेजों पर नियंत्रण और निगरानी करने वाली संस्था एमपीएनआरसी में प्रशासक और रजिस्ट्रार को छोड़ बाकी सभी कर्मचारी आउटसोर्स पर हैं। इन कर्मचारियों की योग्यता जानने के लिए सूचना के अधिकार कानून के तहत कई आवेदन भी आए, पर काउंसिल ने जानकारी देने से मना कर दिया।
सत्र 2023-24 की मान्यता की तैयारी
एक ओर जहां प्रदेश में पिछले तीन सालों में खुले सैकड़ों नर्सिंग कालेजों की मान्यता कठघरे में है। हाईकोर्ट में प्रकरण विचाराधीन है। अभी भी कई कालेज बिना मापदंड पूरा किए चल रहे हैं। इन पर सख्ती करने की जगह 2023-24 के सत्र में इनकी मान्यता नवीनीकरण करने की तैयारी है। इसमें भी फैकल्टी के लिए आधार केवायसी अनिवार्य करने की योजना नहीं है।
हाईकोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। निगरानी व्यवस्था को और बेहतर करेंगे, जिससे कालेज तय मापदंड के अनुसार ही संचालित हों।
डा. एके श्रीवास्तव, संचालक, चिकित्सा शिक्षा