हायड्रोजन चालित जलपोत वाराणसी पर्यटन की बढ़ाएगा शोभा
वाराणसी । वाराणसी में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किये जा रहे है, उसमे गंगा में हस्त चालित नावो के अलावा सी एन जी से भी नावों का संचालन किया जा रहा है। वाराणसी में गंगा नदी के किनारे राजघाट के पास नव निर्मित नमो घाट देश का पहला घाट है जो जल, नभ एवं थल से जुड़ा है। नमो घाट इतना विशाल क्षेत्र में बना है जिसपर हेलीकाप्टर लैंड कराया जा सकता है। नमो घाट पर नावों में सी एन जी रिफिल करने के लिए देश का पहला सी एन जी स्टेशन है। यहाँ गंगा में असी घाट से नमो घाट तक भ्रमण करने एवं गंगा आरती देखने हेतु दो बड़े जलपोत (क्रूजर) पहले से संचालित किये जा रहे है।
वाराणसी के पर्यटन में एक और अध्याय जुड़ गया, जब यहां देश का पहला हैड्रोजन द्वारा संचालित जलया न कोलकाता से आज वाराणसी आया। कोच्ची शिपयार्ड में निर्मित हैड्रॉजन फ्यूल चालित डबल डेकर कटा मेरान कोलकाता -पटना -गाज़ीपुर के रास्ते वाराणसी पंहुचा है।
जलमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियो की माने तो जलयान को करीब एक माह पहले कोच्ची शिपयार्ड से पेरियार -3 और फैसकी दो जलपोतो के साथ करीब दो हजार कि. मी. समुद्री यात्रा कर 13 जून को कोलकाता पंहुचा था। 50 सीटर यह पर्यटक जलयान करीब 28 मीटर लम्बा और करीब 5.8 मीटर चौड़ा है। इसका कुल वजन लगभग 20 टन है।
यह जलयान वाराणसी और चुनार फ़ोर्ट के बीच संचालित किया जायगा। वाराणसी से चुनार फ़ोर्ट के बीच की अनुमानित जलमार्ग की दूरी लगभग 30 कि. मी. है। यह जलयान 20 कि. मी. प्रति घंटा के स्पीड से चल सकता है। इस जलपोत के निर्माण में कुल 10 करोड़ रूपये व्यय हुए है।
वाराणसी में काशी विश्वनाथ कोरिडोर के निर्माण के बाद कोलकाता, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक के पर्यटकों में भारी इजाफा हुआ है और सरकार को वाराणसी के पर्यटन उद्योग से काफ़ी मुनाफा हुआ है।