वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट में असहमति से जुड़े हिस्सों को कथित रूप से हटाए जाने के मुद्दे पर विपक्षी दलों के हंगामे के बाद भाजपा की मेधा विश्राम कुलकर्णी ने बृहस्पतिवार दोपहर उच्च सदन में एक शुद्धिपत्र पेश किया। कुलकर्णी ने रिपोर्ट के परिशिष्ट पांच का शुद्धिपत्र राज्यसभा में भोजनावकाश के बाद पेश किया। उन्होंने सुबह सदन में रिपोर्ट पेश की थी।

एक विपक्षी सदस्य ने ली चुटकी
रिपोर्ट के परिशिष्ट का अध्याय पांच 'संयुक्त समिति के सदस्यों से प्राप्त टिप्पणियों/असहमतियों के कार्यवृत्त' से संबंधित है और इसमें वे टिप्पणी शामिल हैं जिन्हें पहले की पेश की गई रिपोर्ट में संपादित किया गया था। भाजपा सदस्य ने जैसे ही शुद्धिपत्र पेश किया, एक विपक्षी सदस्य ने चुटकी लेते हुए कहा कि यह साबित करता है कि सदन को पहले एक मंत्री द्वारा गुमराह किया गया था।

शुद्धिपत्र के लिए सरकार को धन्यवाद देते हुए सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा-'यह दर्शाता है कि संसदीय संस्थाएं फल-फूल रही हैं और भावनाओं का ध्यान रखा जा रहा है। हम चाहते हैं कि संवाद और विचार-विमर्श के माध्यम से ही चीजें हों। 'हालांकि, विपक्षी सांसदों ने कहा कि यह उनके दबाव में किया गया।

विपक्ष रचनात्मक लड़ाई कर रहा है- टीएमसी नेता
तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने कहा कि सरकार को वक्फ जेपीसी को बिना हटाए गए विपक्षी असहमति नोट्स के साथ प्रस्तुत करने के लिए मजबूर किया गया। संस्थानों को बचाने के लिए विपक्ष रचनात्मक लड़ाई कर रहा है। जब रिपोर्ट को गुरुवार को पहले सदन में प्रस्तुत किया गया था तब गोखले ने मांग की थी कि रिजिजू को जवाब देना चाहिए कि क्या असहमति नोट्स में कोई संशोधन किया गया था।

सरकार ने दोनों सदन में खारिज किया विपक्ष का आरोप
सरकार ने इस आरोप को दोनों सदनों में खारिज करते हुए कहा कि किसी असहमति को हटाया नहीं गया है और विपक्ष इस मामले में वोट बैंक की राजनीति कर रहा है।
लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कुछ विपक्षी दलों का दावा है कि उनकी आपत्तियों और असहमति को जगह नहीं दी गई है।

मैं अपनी पार्टी (भाजपा) की ओर से उनसे अनुरोध करता हूं कि आपकी जो भी आपत्तियां हैं, उन्हें आप संसदीय परंपराओं के अनुसार रिपोर्ट में शामिल करा सकते हैं। मेरी पार्टी को इसमें कोई आपत्ति नहीं है।