भूषण पावर एंड स्टील के लिए JSW स्टील की 19,700 करोड़ की डील अवैध घोषित, कंपनी को झटका

सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले से जेएसडब्ल्यू स्टील को बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने भूषण पावर ऐंड स्टील के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील की समाधान योजना को ‘अवैध’ करार दिया और कंपनी के परिसमापन का निर्देश दिया। अदालत का यह फैसला दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत जेएसडब्ल्यू स्टील द्वारा भूषण पावर ऐंड स्टील के अधिग्रहण के चार साल बाद आया है।
अदालत के इस निर्णय से जेएसडब्ल्यू स्टील का शेयर 5.46 फीसदी गिरकर 972.15 रुपये पर बंद हुआ।
भूषण पावर ऐंड स्टील के परिसमापन का आदेश देते हुए न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा के पीठ ने कहा कि समाधान योजना ‘अवैध’ और आईबीसी के प्रावधानों के ‘विपरीत’ है।
अदालत ने कहा, ‘ऋणदाताओं की समिति द्वारा मंजूर जेएसडब्ल्यू स्टील की समाधान योजना आईबीसी की धारा 30(2) की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं थी और यह आईबीसी एवं कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) विनियमों के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन था। उक्त समाधान योजना को एनसीएलटी द्वारा धारा 31(2) के तहत प्रथम दृष्टया अस्वीकृत कर दिया जाना चाहिए था। एनसीएलएटी द्वारा पारित विवादित निर्णय न्यायसंगत नहीं है। उसे रद्द किया जाना चाहिए।’
अदालत ने भूषण पावर ऐंड स्टील के ऋणदाताओं की समिति के साथ ही राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) के खिलाफ भी सख्त टिप्पणियां कीं। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऋणदाताओं की समिति को जेएसडब्ल्यू की समाधान योजना को स्वीकार नहीं करना चाहिए था और एनसीएलटी को भी इस योजना को मंजूरी नहीं देनी चाहिए थी। अदालत ने आगे कहा, ‘ऋणदाताओं की समिति जेएसडब्ल्यू की समाधान योजना को मंजूर करते समय
वाणिज्यिक विवेक का उपयोग करने में विफल रही जो आईबीसी और सीआईआरपी विनियमों के अनिवार्य प्रावधानों का घोर उल्लंघन था।’
अदालत ने कहा, ‘ऋणदाताओं की समिति सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विरोधाभासी रुख अपनाकर तथा बिना किसी आपत्ति के जेएसडब्ल्यू से भुगतान स्वीकार करके लेनदारों के हितों की रक्षा करने में भी विफल रही।’
सर्वोच्च न्यायालय ने समाधान पेशेवर की भी आलोचना की जिसे दिवाला प्रक्रिया शुरू होने के बाद स्टील कंपनी की देखभाल का जिम्मा सौंपा गया था। अदालत ने कहा समाधान पेशेवर आईबीसी और सीआईआरपी विनियमों के तहत अपने वैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में पूरी तरह विफल रहा।
अदालत ने कहा कि जेएसडब्ल्यू ने जानबूझकर समाधान योजना की शर्तों का उल्लंघन किया और दो साल तक उसका अनुपालन नहीं किया, जिससे आईबीसी का उद्देश्य विफल हो गया और भूषण पावर ऐंड स्टील की दिवालिया प्रक्रिया प्रभावित हुई। अदालत ने एनसीएलटी और राष्ट्रीय कंपनी कानून अपील पंचाट (एनसीएलएटी) के 5 सितंबर, 2019 और 17 फरवरी, 2020 के आदेशों को रद्द कर दिया।
अदालत ने कहा, ‘ऋणदाताओं की समिति द्वारा मंजूर जेएसडब्ल्यू की समाधान योजना को अस्वीकार किया जाता है क्योंकि यह आईबीसी की धारा 30(2) तथा आईबीसी की धारा 31(2) के अनुरूप नहीं है।’
जेएसडब्ल्यू द्वारा वित्तीय लेनदारों और परिचालन लेनदारों को किए गए भुगतान और समाधान योजना के क्रियान्वयन में यदि कोई इक्विटी अंशदान दिया गया है, तो वह वर्तमान अपील के परिणाम के अधीन होगा और 6 मार्च, 2020 के आदेश के अनुसार ऋणदाताओं द्वारा दिए गए बयान के अनुसार पक्षों द्वारा निपटाया जाएगा।
जेएसडब्ल्यू स्टील की 19,700 करोड़ रुपये की समाधान योजना पेश की थी जिसे सितंबर 2019 में एनसीएलटी द्वारा मंजूरी दी गई थी। इसमें वित्तीय लेनदारों को 19,350 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना था जबकि उनका दावा 47,157.99 करोड़ रुपये का था।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि जेएसडब्ल्यू ने ऋणदाताओं की समिति के समक्ष गलत बयानी करके बोली हासिल की। जेएसडब्ल्यू ने समाधान योजना के अनुमोदन के बाद दो साल तक कोई कार्रवाई नहीं की जबकि इसमें कोई कानूनी बाधा नहीं थी।
अदालत का यह निर्णय परिचालन ऋणदाता कल्याणी ट्रांस्को, भूषण पावर ऐंड स्टील के पूर्व प्रवर्तक संजय सिंघल, ऋणदाताओं जलधि ओवरसीज और सीजे डार्कल लॉजिस्टिक्स द्वारा दायर याचिका पर आया है।