जूनागढ़ (गुजरात) : अमरेली जिले के मंदारडी गांव में आज एक और शेरनी की संदिग्ध मौत से स्थानीय लोगों में वन विभाग के प्रति आक्रोश है. वन विभाग से जांच का आग्रह किया है कि क्या इन मौतों की वजह कोई गंभीर वायरस का प्रकोप तो नहीं है.

वहीं मामले की जानकारी मिलते ही मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जयपाल सिंह सहित राज्य वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने जाफराबाद रेंज में शेरों की मौत के कारणों की जांच के लिए झांझरदा पशु देखभाल केंद्र का दौरा किया. हालांकि शव को पोस्टमार्टम के लिए बाबरकोट पशु केंद्र ले जाया गया, जहां पुष्टि हुई कि शेरनी की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई बताई गई.

वन विभाग के दावों के बीच शेरनी की मौत
शेत्रुंजी रेंज के जाफराबाद और राजुला इलाकों में पिछले एक हफ्ते से शेर के शावकों की मौत को लेकर काफी चर्चा थी. इस बीच आज एक और शेरनी की संदिग्ध मौत से मामला और भी गरमा गया है. इसी क्रम में गिर पूर्व और गिर पश्चिम के अधिकारियों सहित वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी आज झांझरदा पशु देखभाल केंद्र पहुंचे. उन्होंने उपचाराधीन शेर शावकों और शेरनियों की जांच की. वन विभाग की एक टीम शेर के शावकों की मौत की जांच के लिए झांझरदा पहुंच गई थी, लेकिन मंदारडी गांव से एक और शेरनी की मौत की खबर ने मामले को और पेचीदा बना दिया है.

दो विधायकों ने वन मंत्री को लिखा पत्र
वन विभाग इन मौतों को प्राकृतिक या सामान्य बता रहा है, लेकिन अधिकारियों की आवाजाही संदेह बढ़ा रही है. दो दिन पहले, राजुला विधायक हीराभाई सोलंकी ने राज्य के वन मंत्री को पत्र लिखकर वन विभाग की कार्यप्रणाली पर संदेह जताया था. आज, धारी विधायक जे.वी. काकड़िया ने भी वन मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि शेरों की मौत किसी बीमारी के कारण हुई है, जो वन विभाग के दावे को चुनौती देता है.

कुछ दिन पहले शावकों की मौत निमोनिया से हुई -मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक
राज्य वन विभाग के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जयपाल सिंह ने बाबरकोट पशु देखभाल केंद्र के पास मीडिया को बताया कि पिछले कुछ दिनों में शेर के शावकों की मौत की खबरें आई हैं और यह स्पष्ट है कि उनकी मौत निमोनिया के कारण हुई है. आज हुई शेरनी की मौत के बारे में उन्होंने कहा कि वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस दिशा में जांच कर रहे हैं.

एक ओर राज्य के वन मंत्री शेर के बच्चों और शेरनियों को आइसोलेट करने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विधायक गंभीर आरोप लगा रहे हैं कि मौतें किसी संदिग्ध वायरस के कारण हुई हैं. वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शेरों की मौत का कारण निमोनिया बता रहे हैं, लेकिन गिर क्षेत्र में शेरों के स्वास्थ्य को लेकर उठ रहे संदेह ने विवाद को और गहरा कर दिया है.